स्वामी विवेकानंद
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नर के रूप में इन्द्र देव ने कलकत्ता में जन्म लिया
इसीलिए मां बाप ने उनको नरेंद्र नाथ का नाम दिया
तन मन से की थी गुरु की सेवा परम हंस को गुरु किया
राम कृष्ण थे गुरु जिन्होंने विवेकानंद का नाम दिया
मां भुवनेश्वरी पिता विश्वनाथ का प्यार और आशीष लिया
गुरु वन्दन और सेवा से मां काली का भी आशीष लिया
निर्धनता और धनाभाव में जीवन अपना काटा था
गुरु चरणों की रज को ले अपनी जिह्वा से चाटा था
धर्म शास्त्र का मंथन कर आत्म ज्ञान को प्राप्त किया
शून्य सृष्टि पर कर चिन्तन नव युवकों को सन्देश दिया
जागो,उठो और चलते जाओ जब तक लक्ष्य ना मिल जाए
अमरीका को धर्म सनातन और आत्मज्ञान समझा आये
भारत वर्ष का भ्रमण किया मानवता का पाठ पढ़ाया था
उर में साश्वत विश्वास जगा धर्म का ध्वज फहराया था
नवजीवन पथ पर चलकर के भारत का मान बढ़ाया था
अमरीका में भाषण दे विश्व में नाम कमाया था
'पथिक सदृश बन भ्रमण किया आत्मज्ञान को जाना था
अल्प आयु में ही उनको सब दुनिया को समझाना था
ऐसे स्वामी विवेकानंद को है पथिक करे शत् बार नमन
सनातन धर्म के ज्ञाता को है कोटि कोटि मेरा वन्दन
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर
Supriya Pathak
17-Sep-2022 11:07 PM
Achha likha hai 💐
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Swati chourasia
17-Sep-2022 10:28 PM
बहुत खूब
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Reena yadav
17-Sep-2022 05:49 PM
👍👍
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